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मप्र पर्यटन विभाग को कार्यप्रणाली में बदलाव करना होगा

- होम स्टे योजना के फ्लॉप होने पर भी उसमें जान फूंकने की कवायद - अपने राज्य के लोगों की बजाए दूसरे राज्यों के लोग कमाई कर लेते हैं (अनुराग तागड़े) 9893699969 इंदौर। केवल बेहतरीन विज्ञापनों के माध्यम से हम अपने राज्य को पर्यटन के नक्शे पर लेकर आ सकते हैं परंतु लगातार पर्यटक मित्र राज्य बनने के लिए प्रदेश के पर्यटन विभाग को कमर कसना होगी। मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग को प्रोफेशनल तरीके से काम करना होगा। केवल आउटसोर्स करना ही इसका तरीका नहीं है बल्कि नीतियों में उस तरह से बदलाव करना होगा। दरअसल मप्र पर्यटन विभाग ने अलग-अलग जगह प्रॉपर्टी विकसित जरूर कर ली है और वहां पर रहने की सुविधाएं भी जुटा ली हैं परंतु अब भी अन्य राज्यों की तुलना में मप्र पर्यटन विभाग पर्यटकों के लिए उतना सहज नहीं है।  केरल है सबसे टूरिस्ट फ्रेंडली राज्य केरल को सबसे श्रेष्ठ टूरिस्ट फ्रेंडली राज्य कहा जाता है क्योंकि वहां पर्यटन विभाग काफी तेज गति से निर्णय लेता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है। जिसके कारण स्थानीय एजेंसियों से लेकर स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है...

ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वॉलेट के नाम पर हो रही लूट

- भोलेभाले किसान ज्यादा पैसे देने को मजबूर - ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक साक्षरता के लिए सरकार को पहल करना चाहिए (अनुराग तागड़े) 9893699969 इंदौर। शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोग इस बात को लेकर बेहद खुश होते हैं कि उनके पास डिजिटल वॉलेट है और वे कहीं पर भी पैसे दे सकते हैं या ले सकते हैं वह भी मोबाईल के माध्यम से। निश्चित रुप से यह सुविधाजनक है और काफी अच्छा भी है। परंतु इससे विपरीत ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल इंडिया की पहुंच तो हो गई है परंतु डिजिटल तकनीक का प्रयोग किस तरह और क्यों हो रहा है इसकी जानकारी ही किसानों को नहीं है। इंदौर, उज्जैन व आसपास के कई ग्रामीण इलाकों में अब भी किसान बैंकिंग से डरते हैं और मोबाईल से पैैसे जमा हो सकते हैं या प्राप्त कर सकते हैं इसकी कल्पना भी उनके मन में कभी नहीं आई। चेक ही नहीं समझ पाते तो डिजिटल वॉलेट की बात कहां से समझेंगे दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक साक्षरता की दर काफी कम है। लोगों के पास मोबाईल आ गया है और उस मोबाईल से बातचीत कैसे करना इतना भर किसानों को आने लगा है परंतु आर्थिक लेन-देन कैैसे करें अभी इसकी जानकारी नहीं है। ग्रा...

इतना आसान नहीं उड़ान का उड़ान भर पाना

- इंदौर ग्वालियर के बीच आठ ट्रेने उपलब्ध है (अनुराग तागड़े) 9893699969 केंद्र सरकार ने उड़ान योजना के अंंतर्गत देश के 45  हवाई अड्डो को जोड़ने की महती योजना बनाई है। सरकार ने एक घंटे की उड़ान के लिए 2500 रुपए किराया तय किया है। 128 नए मार्गो पर विमान उड़ान भरेंगे और अगले 6 माह में इसका असर नजर आने लगेगा ऐसा केंद्र सरकार का मानना है।  दरअसल एविएशन सेक्टर चाहे घरेलू हो या विदेशी लगता है कि संभावनाओं से भरा है पर असल में यह क्षेत्र काफी अलग है और इसमें लगातार सेवा में बने रहने के लिए काफी मेहनत करना पड़ती है। इतना ही नहीं इसमें काफी संसाधन लगाने पड़ते है। हमें केवल विमान उड़ान भरते हुए नजर आता है पर उसके पीछे का बैकग्राउंड म्युजिक बजाने के लिए काफी संसाधन और लोगो की जरुरत पड़ती है जिसका खर्च काफी ज्यादा होता है। सरकार ने उड़ान योजना के अंतर्गत 19-78 सीट वाले विमानों को उड़ान भरने की अनुमति दी है। इस श्रेणी के जितने भी विमान भारत में उड़ान भरते है या इस स्कीम के बाद जितने भी विमान अनुमति प्राप्त कंपनियां भारत में लीज पर लाएंगी उनके मेंटेनेंस खर्च काफी होता है। इस श्रेणी में एटीआ...

गोलू वाले भियाहोन का क्या करें

(अनुराग तागड़े) शहर की सड़क पर गोलू वाले भियाहोन की कोई कमी नहीं है ये सड़क के बीचोबीच दोपहिया वाहन (अमूमन मोटरसाईकल) चलाते हैं। नम्बर प्लेट पर गोलू, से लेकर मोनू, िपंकू, टिंकू, रिंकू से लेकर भगवान के प्रति आस्था प्रकट करने वाले तमाम तरह के चिन्ह आदि रहते हैं। इन गोलूओं की विशेषता रहती है कि वे गाड़ी चलाने की अपेक्षा लहराने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। लहराते समय इनकी अदाएं देखने लायक होती हैं, ये अजीब सा मुंह भी बनाते हैं, दोनों पैैरों के पंजे ऊपर उठा लेते हैैं और हाथों की मुद्रा भी देखने लायक होती है और ये गाड़ी को दाएं-बाएं भी घुमा लेते हैं। इतना ही नहीं अगर ये  भिया जोश में आ गए तो आपको गाना भी सुनने को मिल सकता है वह भी जोर की आवाज में। वहीं कुछ अपनी आवाज को अच्छा नहीं मानते तो तेज हॉर्न का प्रयोग जरूर कर लेते हैं।  अगर सड़क पर लड़कियां चलती हुईं नजर आ जाएं तब भियाहोन की जैसे बांछें ही खिल जाती हैं और फिर सड़क पर जैसे सर्कस ही आरंभ हो जाता है। कई बार बिना काम के भी एक ही सड़क पर मंडराना भी आरंभ हो जाता है। अच्छा ऐसा नहीं है कि इसमें गोलू वाले भियाहोन ही शामिल हैं कुछ हा...

शिक्षा माफिया पर कसो नकेल

ट्रांसपोर्ट...खाना सबकुछ आउटसोर्स - बढ़ती जा रही निजी स्कूलों की मनमानी - डमी एडमिशन से मालामाल हो रहे स्कूल वाले - किसी भी तरह से फीस बढ़ाने के तरीके ढूंढते हैं - होम स्कूल का बढ़ रहा प्रचलन (अनुराग तागड़े) 9893699969 इंदौर। प्रदेश शासन भले ही स्कूल संचालकों की गोद में बैठकर प्रदेश के निजी स्कूलों को मनमानी करने की अनुमति देता रहे पर असलियत यह है कि बड़े-बड़े पांच सितारा स्कूलों से आम जनता का मोह भंग होता जा रहा है। यहां पर पढ़ाई छोड़कर बाकी अन्य गतिविधियों पर ध्यान देने की बात सामने आती है और सभी के लिए पैसे अभिभावकों से लिए जा रहे हैं। आपसी होड़ और दिखावे के इस युग में माता-पिता अपने बच्चों को सबसे सर्वश्रेष्ठ स्कूल में भर्ती करवाते हैं। इसके कारण भी अजीब तरीके के होते हैं जैसे स्कूल की बस ए.सी. वाली है, स्कूल में बच्चों को खेलने के लिए सॉफ्ट फ्लोर है और स्कूल में उच्च गुणवत्ता वाला खाना दिया जाता है।  पर जब शिक्षा की बात आती है तो स्कूल वाले माता-पिता पर सब कुछ थोप देते हैं। एडमिशन के लिए इवेंट का सहारा निजी स्कूलों में अब एडमिशन का तरीका भी बदल गया है। निजी स्कूल ...

अनुष्का शर्मा ने लगे रहो मुन्नाभाई में एक्स्ट्रा का काम भी किया था

(अनुराग तागड़े) फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी कम ही अदाकारा है जिन्होंने अपने करियर को बहुत तेज गति से आगे बढ़ाया हो और साथ में उसे प्रोफेशनल तरीके से संभाला भी हो। अनुष्का शर्मा ऐसी कलाकार है जो सही मायने में बॉलीवुड की तासीर को समझती है और किस तरह से प्रोफेशनल तरीके से आगे बढ़ना है यह भी उन्हें खूब आता है। अनुष्का सफलता को आगे कैसे ले जाना यह जानती है और यह भी जानती है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में किसी भी नायिका को काम करने का वर्ष काफी कम होते है। जहां पर नायिका 35 वर्ष के पार हुई कि नायिकाओं को रोल मिलना कठिन हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण है जिसमें नायिकाओं ने दो चार हिट फिल्में दी है पर बाद में करियर जैसे ही ढलान पर आ जाता है वे कुछ भी नहीं कर पाती । सिनेमा के बदलते दौर में अब महिला केंद्रीत फिल्में भी बनने लगी है और रियेलेस्टिक फिल्मों के दौर में नई कहानियों को काफी पसंद किया जा रहा है। इस ट्रेंड को अनुष्का ने बहुत अच्छे से पहचान लिया है और इसी के अनुरुप उन्होंने अपने करियर को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है।  अनुष्का का जन्म अयोध्या में हुआ है और उत्तरप्रदेश की संस्कृति को वह बेहत...

शिक्षा माफिया पर कसो नकेल

शिक्षा मंत्रीजी फीस बढ़ाने के अलग तरीके मत ढूंढो - स्कूल बस एसी तो किराया बढ़ाने जैसे तरीकों का होगा गलत इस्तेमाल  - निजी स्कूल कैटेगरी बनने के बाद भी फीस बढ़ाने के तरीके ढूंढ लेंगे - निजी स्कूलों को रेग्युलेट करने लिए अथॉरिटी का गठन किया जाए (अनुराग तागड़े) इंदौर। हमारी प्रदेश सरकार भी गजब ही है जिन निजी स्कूल संचालकों को फीस कम करने के लिए कहना चाहिए उन्हीं को अपने पास बुलाकर शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह इस बात के सुझाव मांग रहे हैं कि भाई आप अपना खर्चा बता दो फिर उसके अनुसार फीस बढ़ाने के तरीकों पर विचार करेंगे। कोई भी निजी स्कूल संचालक यही कहेगा कि मंत्री महोदय स्कूलों में सुविधाएं जुटाने के लिए काफी पैसा लगता है अब आप ही बताएं कि फीस क्यों न बढाएं? मंत्री महोदय को आम जनता और अभिभावकों से चर्चा करना चाहिए।  किस प्रकार से निजी स्कूल बेतहाशा फीस वृद्धि कर देते हैं और किस प्रकार से अब भी कमीशनखोरी चलती है यह किसी से छुपा नहीं है।  सरकारी ठप्पा लगने के बाद मनमानी निजी स्कूल संचालक पांच श्रेणियों में अपने आप को विभक्त कर लेंगे। फिर सरकारी ठप्पा लगते ही मनमानी ...

क्या प्रदेश के विकास के अगले स्तर की बात नहीं होनी चाहिए?

(अनुराग तागड़े) 9893699969 मध्यप्रदेश को बीमारु राज्य की श्रेणी से बाहर लाने का श्रेय...प्रदेश में सोशल इंजिनियरिंग और कृषि के क्षेत्र में कमाल का प्रदर्शन...आम जनता के बीच सहज उपस्थिति जैसी बातों को लेकर भाजपा इसके पूर्व का चुनाव जीत चुकी है। अब बात की जाए अगले स्तर की और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यह जानते है कि अगर उन्हें अगले वर्ष चुनाव में जनता के बीच वोट मांगने के लिए जाना है तब सही मायने में प्रदेश के विकास के  अगले स्तर कर रोडमैप जनता के सामने रखना होगा। प्रदेश को तेज गति से आगे ले जाने के लिए नए विचार और नई योजनाओं का आगाज करने की बात करना होगी जिसमें आम जनता की भागीदारी हो और आम जनता को रोजगार देने की बात हो। आनंद संस् थान और नर्मदा सेवा यात्रा से मुख्यमंत्री अपनी सामाजिक छवि को एक्सटेंड कर सकते है पर इसके बाद डेड एंड है...अब असल बात करना जरुरी है प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर बोलना जरुरी है...खाली हो रहे खजाने को भरने की व्यवस्था कैसे होगी इसकी जानकारी आम जनता के बीच रखने की जरुरत है। किस प्रकार से प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा उद्योग लगे इसे लेकर बातें होना चाह...

अर्थव्यवस्था में नौकरी के संकट का दौर

(अनुराग तागड़े) 9893699969 अर्थव्यवस्था को नोटबंदी के असर से मुक्त हो गई है ऐसा बताने वालों के सामने यह उदाहरण रखना काफी है कि वोडाफोन आईडिया के मर्जर के बाद 25 हजार लोग नौकरी से हाथ धो बैठेंगे। इसे जियो इफेक्ट का नाम दिया जा रहा है परंतु यह एक सेक्टर की बात हो गई कई अन्य सेक्टर हैं जहां पर नए वित्त वर्ष के आरंभ होते ही जॉब कट होने की संभावना है। केवल टेलीकॉम सेक्टर की ही बात करें तो भारती एयरटेल ने ही गत वर्ष सितम्बर में कर्मचारियों की संख्या 19462 बताई थी जो दिसम्बर तक 19048 हो गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अब टेलीकॉम सेक्टर में केवल 4 बड़े खिलाड़ी ही रहेंगे जिसके कारण इस सेक्टर में आगे आने वाले दिनों में जॉब कट की संभावना बहुत ज्यादा है।  आईडिया वोडाफोन के एक हो जाने के बाद उनके फ्रेंचाईजी पर भी असर पड़ेगा। प्रत्येक बड़ी टेलीकॉम कंपनी के पास 25 हजार से ज्यादा लोग फ्रेंचाईजी में भी काम करते हैं। जब दो कंपनियां एक हो जाएंगी तब निश्चित रूप से कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। जीएसटी आने के पूर्व सभी इंडस्ट्री अपने आप को एडजस्ट करना चाहती है...