मप्र पर्यटन विभाग को कार्यप्रणाली में बदलाव करना होगा


- होम स्टे योजना के फ्लॉप होने पर भी उसमें जान फूंकने की कवायद
- अपने राज्य के लोगों की बजाए दूसरे राज्यों के लोग कमाई कर लेते हैं
(अनुराग तागड़े)
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इंदौर। केवल बेहतरीन विज्ञापनों के माध्यम से हम अपने राज्य को पर्यटन के नक्शे पर लेकर आ सकते हैं परंतु लगातार पर्यटक मित्र राज्य बनने के लिए प्रदेश के पर्यटन विभाग को कमर कसना होगी। मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग को प्रोफेशनल तरीके से काम करना होगा। केवल आउटसोर्स करना ही इसका तरीका नहीं है बल्कि नीतियों में उस तरह से बदलाव करना होगा।
दरअसल मप्र पर्यटन विभाग ने अलग-अलग जगह प्रॉपर्टी विकसित जरूर कर ली है और वहां पर रहने की सुविधाएं भी जुटा ली हैं परंतु अब भी अन्य राज्यों की तुलना में मप्र पर्यटन विभाग पर्यटकों के लिए उतना सहज नहीं है। 
केरल है सबसे टूरिस्ट फ्रेंडली राज्य
केरल को सबसे श्रेष्ठ टूरिस्ट फ्रेंडली राज्य कहा जाता है क्योंकि वहां पर्यटन विभाग काफी तेज गति से निर्णय लेता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है। जिसके कारण स्थानीय एजेंसियों से लेकर स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और सीधे रूप से सभी टूरिज्म से जुड़ जाते हैं। जबकि मप्र में हालत यह है कि जल महोत्सव के दौरान हनुवंतिया में प्रदेश के बाहर की एजेंसियों को रूम बुकिंग आदि का कार्य सौंपा गया था। बाहर की एजेंसियों ने पंद्रह हजार रुपए प्रतिदिन के अनुसार रूम बुक किए थे। इतना ही नहीं मप्र पर्यटन विभाग प्रदेश के पर्यटकों की ओर इतना ध्यान नहीं देता जितना अन्य राज्यों या बाहर के पर्यटकों का ध्यान रखता है।
होम स्टे योजना फ्लॉप
पर्यटन विभाग ने बिना सोचे-समझे आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व होम स्टे योजना लागू की थी। इसमें स्थानीय लोगों के घरों पर टूरिस्ट रुकवाने की योजना थी परंतु सही मार्केटिंग और जागरुकता के अभाव में यह योजना फ्लॉप रही। अब पुन: इस योजना में जान फूंकने की प्रक्रिया जारी है। देखना यह है कि पर्यटन विभाग कब स्थानीय एजेंसियों को महत्व देना आरंभ करता है।

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