आज भी खरीदना पड़ता है मानव रक्त!
सभ्यता के विकास की दौड़ में मनुष्य भले ही कितना आगे निकल जाए, पर जरुरत पड़ने पर आज भी एक मनुष्य दूसरे को रक्तदान करने में हिचकिचाता है। रक्तदान के प्रति जागरुकता लाने की तमाम कोशिशों के बावजूद मनुष्य को मनुष्य का खून खरीदना ही पड़ता है। इसे बड़ी विडंबना ओर क्या हो सकती है कि कई दुर्घटनाओं में रक्त की समय पर आपूर्ति न होने के कारण लोग असमय मौत के मुँह में चले जातेे है। रक्तदान के प्रति जागरुकता जिस स्तर पर लाई जाना चाहिए थी, उस स्तर पर न तो काशिर्श हुई है और न लोग जागरुक हुए। भारत की बात की जाए तो अब तक देश में एक भी केंद्रीयकृत रक्त बैंक की स्थापना नहीं हुई जिसके माध्यम से पूर्रे देश में कही पर भी खून की जरूरत को पूर्रा किया जा सके। टेक्नोलॉजी में हुए विकास के बाद निजी तौर पर वेबसाइट्स के माध्यम से ब्लड बैंक व स्वैच्छिक रक्तदाताओं की सूची को बनाने का कार्य आरंभ हुआ। इसमें थोड़ी बहुत सफलता भी मिली, लेकिन संतोषजनक हालात अभी नहीं बने। मात्र एक प्रतिशत रक्तदाता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को 'रक्तदान दिवस" मनाया जाता है। वर्ष 1997 में संगठन ने यह लक्ष्य रखा ...