संदेश

अप्रैल, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोई चप्पल जुते क्यो ना मारे इन दीवानो को?

कोई चप्पल जुते क्यो ना मारे इन दीवानो को? (अनुराग तागड़े) दीवानो का क्या है कुछ भी कहते रहते है...अब अपने आडवाणीजी को ही े ीजिए पाकिस्तान में जाकर इन्होंने अपना ोहा ग वाया था (भाजपा आडवाणी को ौह पुरुष के रुप में ोजेक्ट कर रही है) उस कारण उन्हें अब जाकर खडाउ खाने को मि ी। आडवाणी के अ ावा अब तक बुश,चिदंबरम,जिंद को भी जूते खाने को मि े है। एक बात इन सभी में एक जैसी है कि फेंकने वा ा का निशाना सही नहीं रहा। शायद कुछ दिनो बाद पार्टिया चप्प जुते खाने से कैसे बचे इसके विशेष शिक्षण सत्र भी आयोजित करने गे। वही आम जनता जुते या चप्प मारने की ेक्टिस कर इसका योग करे तो परिणाम भी उनकी इच्छाअनुरुप हो सकते है। खैर इन सत्ता के दीवानो को अब जुते चप्प खाने की आदत हो जाएगी। पार्टियो के विशेष शिक्षण सत्रो में क्रिकेटरो को बु ाकर कैच पकडने की ेक्टिस भी करवाई जाएगी और जुते चप्प े पड़ने वा े नेता को सि ब्रिटी की तरह देखा जाने गेगा। दरअस संपूर्ण मस े पर गंभीरता से विचार किया जाए तो यह साफ नजर आ रहा है कि हम ोकतंत्र में रह रहे है परंतु हमें अपनी भावनाओं के गटीकरण करने के ि ए मौके नहीं मि ते है

ऊर्जा के क्षेत्र में जल्द करना होगा ढेर सारा निवेश

ऊर्जा के क्षेत्र में जल्द करना होगा ढेर सारा निवेश - 1।6 तिशत तिवर्ष की दर से मांग बढ़ रही है इंटरनेशन एनर्जी एजेंसी द्वारा हा ही में उर्जा संबंधी जारी किए गए आंकडो से एक बात साफ हो गई है कि विश्व में 2030 तक उर्जा की मांग 1.6 तिशत तिवर्ष की दर से होने वा ी है और वर्तमान में आई मंदी का असर उर्जा क्षेत्र पर गहरा पड सकता है क्योंकि इस क्षेत्र में वर्तमान में काफी कम निवेश हो रहा है।एजेंसी के अनुसार वर्तमान में उर्जा की मांग में कमी आई जिसका कारण मंदी है तथा ते की बढ़ती कीमते। पर एजेंसी का यह भी कहना है कि इसक मत ब यह नहीं है कि उर्जा के क्षेत्र में निवेश को कम किया जाए। अगर निवेश कम हुआ तो भविष्य में जाकर मांग आपूर्ती में अंतर आ सकता है। चीन और भारत को एजेंसी ने उर्जा क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश करने वा े देश जिनकी उर्जा की मांग 2030 तक दोगुनी से ज्यादा हो सकती है। विश्व में उर्जा के क्षेत्र में 2030 तक तिवर्ष एक ट्रि यन डॉ र के निवेश की जरुरत है तब जाकर मांग की पूर्ती की जा सकती है।सस्ते ते का दौर समाप्तएजेंसी ने ते के माम े में यह कहा है कि अब सभी देशो को इस बात का ध्यान रखना

आतंकवादियों का हिदायातानामापकडे गए तो क्या करें!

आतंकवादियों का हिदायातानामापकडे गए तो क्या करें! पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजम कसाब से भारतीय सुरक्षा एजेंेसियों से ेकर अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने भी पूछताछ कर ी है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अजम को जो जानकारी देना थी उसने दे दी। भारत ने पाकिस्तान को मुंबई की आतंकी घटना के सबूत सौप दिए है इि ए इस बात पर गौर करना जरुरी है कि अजम कसाब ने कितना सच बो ा है! आतंकवादियों को सिर्फ आत्मघाती हम ों के ि ए ही शिक्षित नहीं किया जाता। कई तरह की ट्रेनिंगों के अ ावा उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि अगर वे जिंदा पकडे गए तो क्या करें! किस तरह से सुरक्षा एजेंसियों के सवा ों का जवाब देना है और उन्हें गुमराह करना है। दरअस आतंकवादियों को यह सब मौखिक नहीं कहा जाता बल्कि आतंकवादियों की हिदायतनामा किताब में ि खा है। कुछ दिनों पह े पाकिस्तान में पकडे गए एक आत्मघाती आतंकवादी के पास से यह हिदायतनामा मि ा था।24 पन्न्ों का हिदायतनामा इसका आरंभ इन बातों से होता है कि यह एक सपना है सभी मुजाहिदीनों का कि वे आत्मघाती दस्ते का एक भाग बन सके। यह बात भी ि खी गई है कि आत्मघाती दस्ते का भाग बनना यानी खु

ये हैं भारत में आतंक के रास्ते ...

ये हैं भारत में आतंक के रास्ते ... (अनुराग तागड़े) देश में अब तक आतंकवादी रे , सड़क व हवाई मार्ग का योगकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे। परंतु मुंबई की घटना ने यह साबित कर दिया है कि अब विशा समु के माध्यम से भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे सकते है। जानते हैं आतंकवाद के उन रास्तोंे को जहाँ से ये दहशतगर्द घुसते हैं। इससे आतंकवाद की भयावहता का अंदाज गाया जा सकता है। आतंकवादियों द्वारा अब केव कश्मीर से व पुराने रास्तों जैसे राजस्थान और गुजरात से भारत में वेश नहीं करते,े बल्कि वे मुख रुप से बांग् ादेश व नेपा के रास्ते भारत में आने गे है। मुंबई की घटना के बाद से यह भी तय हो गया है कि देश की ज सीमा भी अब सुरक्षित नहीं रही है।तथ्य- देश के 232 जि े आतंकवाद से भावित है।यहँा से पाते है वेशजम्मू कश्मीर :यहँॅा पर ीनगर, कूपवारा, अनंतनाग, उधमपुर, डोडा,जम्मू व कठुआ क्षेत्र आतंकवाद से भावित है। पाकिस्तान से आने वा े आतंकवादी मुख्य रुप से पाकिस्तान के कब्जे वा े कश्मीर के र्स्कादू से भारत में आते है। खासतौर पर गर्मी के दिनों में जब बर्फ पिघ जाती है तब पाकिस्तानी सेना की फायरिंग की आड़ में

स्विस राग को सुनना आसान, बजाना कठिन

स्विस राग को सुनना आसान, बजाना कठिन - स्विस बैंक खातों को ेकर भ्रम ज्यादा- सामान्य बैंकों की तरह काम करती है स्विस बैंके (अनुराग तागड़े) भारतीय जनता पार्टी के सितारा चारकों को शायद यह कहा गया है कि उन्हें बार बार जनता के सामने स्विस राग आ ापना है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ा कृष्ण आडवाणी से ेकर सुषमा स्वराज तक सभी दूर स्विस बैंक में जमा का े धन को ेकर बाते कर रहे है। जानकारों के अनुसार भारतीयो का स्विस बैंक में गभग 70 ाख करोड़ रुपए जमा हैै। अगर इतना धन जमा है तो भाजपा को अब तक इस बात की जानकारी नहीं थी और क्यों एन चुनाव के मौके पर ही भाजपा ने स्विस राग आ ापना आरंभ कर दिया।दरअस भाजपा इसे शुद्ध रुप से चुनावी मुद्दा ही बनाना चाहती है। देश में अब मंदी के असर को देखा जा सकता है और इसी के मद्देनजर अब आडवाणी कहते नजर आ रहे है कि अगर स्विस बैंक से पैसा भारत ाया जाता है तो भारत के अर्थव्यवस्था की गिनती विश्व के अग्रणी देशो में हो सकती है। स्विस बैंकों के भारतीय खातों में जमा रुपयों के बारे में हम भ े ही कितनी ही बाते करें, परंतु इस स्विस राग को सुनना आसान है बजाना कठिन यानीे हम बाते खूब कर स

खुश है जमाना आज पहली तारीख है

अब शाम को नहीं गूँजती रेडियो सिलोन की आवाज सुबह से ही परदेस से बजते थे हिन्दी गाने (अनुराग तागड़े) ये रेडियो सिलोन है ... आवाज की दुनिया के दोस्तो फरमाईश आई है झुमरी तलैया से ... भेजने वाले हैै राजू, दीपक, मुन्नाी और ... आईए सुनते है किशोर कुमार का गाया यह गाना। वर्षो तक भारतीय दर्शकों को श्रीलंका से मीठे गीतों को चासनी परोसने वाला रेडियो सिलोन इन दिनों खुद कड़वे दिन देख रहा है। सालाना करीब 2 करोड़ रूपए खर्च उठाने की हिम्मत अब रेडियो सिलोन की हिन्दी सेवा के पास नहीं रह गई हैं। इस कारण गत वर्ष 1 मई से शाम की सभा 7 से 9 बंद कर दी गई और केवल प्रात:कालीन सभा 5:55 बजे से 8:30 को जारी रखा गया है। अगर इसके श्रोताओं ने खुद पहलकर कोई कदम नहीं उठाया तो हो सकता है कि हिन्दी सेवा पूरी तरह बंद ही हो जाएँ। यह बात अजीब भी लगती है कि श्रीलंका जैसे देश में जहँा हिन्दी भी कोई नहीं बोलता वहाँ से लगातार इतने वर्षों तक रेडियो सिलोन ने भारतीय श्रोताओं का मनोरंजन किया। भारतीय सिनेमा के लगभग 80 वर्षों के इतिहास को अपने आप में समेटे रेडियो सिलोन की सेवाएँ जारी रखने के प्रयास भारत से भी हो रहे है। रेडियो सिलोन