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जून, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कहां ले जा रहा है यह नंगापन?

नंगेपन की आवृत्ति बढ़ रही है। इंटरनेट से ेकर सार्वजनिक जीवन में नंगेपन को ले तरह तरह के विरोध और समर्थन हो रहे है और आश्चर्य की बात यह है कि नंगेपन को आधार बनाकर तमाम तरह की बाते हो रही है जिनमें गंभीरता कम व फुहडता की बाते ही ज्यादा हो रही हैै। इंटरनेट पर अश् ी ता का जा काफी ंबे समय से फै ा हुआ है पर गत एक वर्ष की ही बाते करे तो कई स्थापित साइट्स द्वारा अपनी हिट्स बढ़ाने के ि ए तमाम सीमाओं को पार कर अश् ी ता में डुबोकर ऐसी खबरे परोसने गे जो सामान्य रुप से नजर नहीं आती थी। कामुकता और नग्नता को बढ़ावा देती इन खबरो के कारण जाहिर है हिट्स भी बढे है। ये तो हुई इंटरनेट की बात जहां पर न कोई रोकटोक है और न ही किसी कार का तिबंध। अब कुछ दिन पूर्व ब्रिटेन के आक्सफोर्ड विश्वविद्या य के जुनियर वर्ग के छात्रो ने केंपस में ही नग्न होकर तस्वीरें खिंचवाई। वे नग्न होने के ि ए यह तर्क दे रहे है कि इससे तीसरी दुनिया के देशो की सहायता करेंगे। उनकी फोटो का कै ेंडर बनेंगा जिसे बेचा जाएगा। ठीक इसके विपरित हमारे देश में कानपुर शहर के चार कॉ ेजो में ड़कियों के कॉ ेज में जीन्स पहनकर आने पर तिबंध गाया गया और शिक्षिक

सरोद के एक युग का अंत

उ अ ी अकबर खां ध्दांि (अनुराग तागड़े) कहते है कि संगीत के दर्दी ोगो के सम्मुख स्तुति देना आसान बात है संगीत में कठिन का मत ब जिन्हें संगीत का बिल्कु भी ज्ञान नहीं है उन्हें भी झुमने पर मजबूर करना। उ अ ी अकबर खां की गिनती देश के ऐसे संगीतज्ञों में होती थी जिन्होंने देश के साथ ही विदेशों में भारतीय संगीत का चार किया। सरोद वादन के ति आम संगीत ेमियों का सुनने का अंदाज बद ने वा े उ अ ी अकबर खां के निधन से सरोद के एक ऐसे युग का अंत हुआ है जिसमें सरोद को ेकर न जाने कितने योग हुए। फिल्मों से ेकर जुग बंदियों में नए योग करने वा े खां साहब बाबा अ ाउद्दीन खां के पुत्र होने के नाते सफ नहीं हुए। उन्होंने सरोद वादन की ऐसी शै ी विकसित की जिसमें आ ापी से ेकर जोड़ झा े तक संपूर्ण स्तुति आम ोता को खुब भाती थी और खासतौर पर तब े व सरोद के बीच सवा जवाब महफि की जान हुआ करते थे।1922 में जन्में खां साहब ने मात्र तीन वर्ष की आयु में अपने पिता से संगीत की शिक्षा ेना आरंभ कर दिया था। आरंभ में उन्होंने गायन की ता ीम ी व अपने चाचा फकीर आफताबउद्दीन से तब े की शिक्षा ी।18 घंटे की रियाजअ ी अकबर खां साहब