इतना आसान नहीं उड़ान का उड़ान भर पाना


- इंदौर ग्वालियर के बीच आठ ट्रेने उपलब्ध है
(अनुराग तागड़े)
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केंद्र सरकार ने उड़ान योजना के अंंतर्गत देश के 45  हवाई अड्डो को जोड़ने की महती योजना बनाई है। सरकार ने एक घंटे की उड़ान के लिए 2500 रुपए किराया तय किया है। 128 नए मार्गो पर विमान उड़ान भरेंगे और अगले 6 माह में इसका असर नजर आने लगेगा ऐसा केंद्र सरकार का मानना है। 
दरअसल एविएशन सेक्टर चाहे घरेलू हो या विदेशी लगता है कि संभावनाओं से भरा है पर असल में यह क्षेत्र काफी अलग है और इसमें लगातार सेवा में बने रहने के लिए काफी मेहनत करना पड़ती है। इतना ही नहीं इसमें काफी संसाधन लगाने पड़ते है। हमें केवल विमान उड़ान भरते हुए नजर आता है पर उसके पीछे का बैकग्राउंड म्युजिक बजाने के लिए काफी संसाधन और लोगो की जरुरत पड़ती है जिसका खर्च काफी ज्यादा होता है।
सरकार ने उड़ान योजना के अंतर्गत 19-78 सीट वाले विमानों को उड़ान भरने की अनुमति दी है। इस श्रेणी के जितने भी विमान भारत में उड़ान भरते है या इस स्कीम के बाद जितने भी विमान अनुमति प्राप्त कंपनियां भारत में लीज पर लाएंगी उनके मेंटेनेंस खर्च काफी होता है। इस श्रेणी में एटीआर एकमात्र ऐसा छोटा विमान है जिसे एविशन इंडस्ट्री में काफी अच्छा माना जाता है और जो काफी कम एटीएफ(एविएशन टर्बाइन फ्यूल) खर्च करता है। 
मेंटेनेंस काफी महंगा
जो भी कंपनिया नए रुट्स पर अपनी सेवाएं आरंभ करेंगी उन्हें सबसे पहले नए जुड़ने वाले हवाई अड्डों पर इन विमानों के सामान्य मेंटेनेंस की तैयारी करना होगी। इतना ही नहीं ग्राउंड सपोर्ट स्टॅॅॉफ की भी नियुक्ति करना होगी। प्रत्येक एयरलार्इंस को लोकल अॉफिस हवाई अड्डो पर खोलना होगा। इसके अलावा टिकिटिंग,बैगेज हेंडलिंग जैसे कार्यो के लिए भी लोगो की नियुक्ति करना होगी। इसके अलावा कंपनियों की नजर कार्गो पर भी होगी जिससे वे अतिरिक्त कमाई कर सके। इसके लिए भी नियुक्ति करना होगी। इतना ही नहीं हवाई जहाज के मेंटेनेंस और जांच के लिए भी जिम्मेदार और जानकार व्यक्ति की नियुक्ति करना होगी। 
लो कॉस्ट एयरलार्इंस की हालत देखी है देश ने
देश में लो कॉस्ट एयरलाईंस की हालत क्या हुई यह हम देख चुके है डेक्कन से लेकर किंगफिशर और फिर जेट ने भी लो कॉस्ट मॉडल अपनाया था । इन एयरलार्इंस ने लो कास्ट मॉडल ऐसे रुट्स पर अपनाया था जो सबसे व्यस्त माने जाते है बावजूद इसके इन कंपनियों को घाटा उठाना पड़ा। सरकार उड़ान योजना के अंतर्गत सब्सिड़ी देने की तैयारी भी है इससे आरंभिक रुप से एयरलार्इंस को फायदा जरुर होगा पर लंबे समय में एयरलार्इंस को अपने दम पर ही आगे बढना होगा।
जानकारी के अभाव में दम तोड़ती है योजनाएं
सरकार अपनी ओर से योजनाएं लागू कर देती है अब एयरलार्इंस को अपन दम पर मार्केटिंग भी करना पड़ेगी और आम जनता में जागरुकता पैदा करना पडेगी याने इसका खर्च अतिरिक्त लगेगा।
ट्रेन से तुलना हो ही नहीं सकती
सरकार भले ही कितनी भी छूट दे दे परंतु ट्रेन से इसकी तुलना नहीं हो सकती। उदाहरण के लिए इंदौर ग्वालियर रुट की ही बात करे जिसकी पहली उड़ान जून में आरंभ होने की संभावना जताई जा रही है। इंदौर से ग्वालियर का किराया इंदौर ग्वालियर एक्सप्रेस का बिना रिर्जेवेशन के 185 रुपए है वही स्लीपर में 320, थर्ड एसी 870 और सेकंड एसी 1250 रुपए किराया है इंदौर ग्वालियर एक्सप्रेस का। वही सीनियर सिटीजन में किराया क्रमश: 200,540 और 770 रुपए है। यह ट्रेन रात में 8:05 पर इंदौर से निकलती है और दूसरे दिन सुबह 7:45 बजे ग्वालियर पहुंचती है। इतना ही नहीं इंदौर से ग्वालियर रुट पर कुल 8 ट्रेन है जिसमें से 7 मेल एक्सप्रेस ट्रेने है और 1 सुपरफास्ट ट्रेन है। इस कारण विमान सेवा का ट्रेन से तुलना करना बेमानी है। अब विमानों के लिए यात्री जुटाना याने सरकारी और कारपोरेट क्षेत्र के लोगो को जोड़ना। इंदौर से ग्वालियर कारपोरेट क्षेत्र के लोग काफी बड़ी संख्या में नहीं जाते। ग्वालियर में मालनपुर इंडस्ट्रीयल एरिया है जिसमें टायर और चॉकलेट की बड़ी फैक्ट्रीज है। सरकारी कर्मचारियों में भी भोपाल से ग्वालियर जाने वालो की संख्या ज्यादा रहेगी, इंदौर की अपेक्षा। इंदौर से ग्वालियर टुरिस्ट भी कम ही जाते है। ऐसे में इस रुट पर यात्रियों को जुटाना एयरलार्इंस के लिए काफी  मेहनत भरा काम होगा। केवल जीएसटी से एटीएफ पर मिलने वाले फायदे को लेकर कोई भी एयरलार्इंस ज्यादा दिनों तक उड़ान नहीं भर सकती।

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