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फ़रवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गढ्ढे दो दिनों में खुदते है भरते साल भर में

- ट्रैंचलैस पद्धति से सीवरेज का काम अब भी जारी (अनुराग तागड़े) इंदौर। यह सहनशील नागरिकों का शहर है जहां स्थानीय निकाय के अलावा अन्य विभाग भी जब चाहे चहा चाहे गढ्ढे खोद देती है और भूल जाती है। शहर के नागरिक भले ही गढ्ढे में गिर जाएंगे पर उफ्फ तक नहीं  करेंगे। ट्रैंचलैस पद्धति से सीवरेज लाईन डालने का कार्य गत डेढ वर्ष से चल रहा है और किसी भी चौराहे या सड़क पर अचानक जेसीबी मशीन आती है और कुछ ही घंटो में शहर की अच्छी खासी सड़क को खोद दिया जाता है। दो दिन के भीतर गढ्ढा इतना बड़ा हो जाता है कि चार पहिया वाहन भी इसमें समा जाए पर यह सहनशील लोगो का शहर है जो शहर को स्मार्ट बनाने के चक्कर में कुछ भी सहन करेगा। शहर में कुछ समय पूर्व छत्रियों के पास फल मंंडी से लेकर नंदलालपुरा तक बड़े गढ्ढे खोद दिए गए थे। लगातार ट्राफिक जाम होता रहा और कई लोगो ने इन सड़को पर से आना जाना ही छोड़ दिया कि रोजाना की चिकचिक कौन सहन करे? यहां पर महीनों तक यह काम चलता रहा। इसके बाद व्यवस्ततम मृगनयनी एम्पोरियम के सामने भी काम चलता रहा। इतना ही नहीं तिलकपथ चौराहे से पोलोग्राउंड की ओर जाने वाले मार्ग तो जैसे प्रयोग मार्ग ह

इंदौर में बिगड़ते सामाजिक मूल्यों की छप्पन दुकाने

- नशे की आदत युवाओं को बिगाड़ रही है - पार्टी कल्चर से बिगड़ रहा है माहौल - कार एक्सिडेंट में मारे गए पांच युवाओं की कहानी भी यही कह रही है (अनुराग तागड़े) रात के डेढ़ बजे एमजी रोड़ पर फर्राटा मार रही बाईक को सहसा दूर से देखने पर आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि शहर में तेज रफ्तार से बाईक चलाना और मोटरसाईकल से फटाकेनुमा आवाज निकालना पुराना शगल हो  चुका है। बाईक के करीब आते ही वाहन चालक लड़की है यह समझ में आता है और लड़की ने स्कर्ट पहन रखी है और पीछे बैठा लड़का उसे समझा रहा है कि तेज न चलाओ। यह एक घटना हुई शहर के तथाकथित पबो में देर रात नशे में झूमती लड़कियों को बाउंसरो और सहायको द्वारा कार में बैठाने की दृश्य आम हो चले है और मेरी मर्जी की तर्ज पर लड़किया क्या और क्या लड़के नशे की गिरफ्त में तेजी से आ रहे है। क्या कोई यह कल्पना कर सकता है कि नानी के घर पर हुक्का बार चलाया जाए और उससे पैसा कमाया जाए? शहर में तमाम रोक के बाद भी हुक्का गुडगुडाने की जगहे व्हाट्स एप्प पर तय हो जाती है और खाली घरों में एक रात में नशे के हुक्का गुडगुडाने की कीमत दो से तीन हजार रुपए वसूली जाती है। हाल ही में पकड़े गए

डिकोडिंग आईएमए...वेएर ग्रोथ रुल्स

संभावनाओं के क्षितिज पर चमकदार सितारा - आईएमए इंटरनेशनल मैनेजमेंट कॉनक्लेव (अनुराग तागड़े) इंदौर।  व्हेन ए कंट्री रन्स फॉर डेवलपमेंट...ए मैजेस्टिक एसोसिएशन इस मस्ट फॉर अचीविंग टारगेट....प्रगति का ध्येय और देश के प्रबंधकीय गुणों को वर्सेटाईलिटी के नजरिए से देखने वाला इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन प्रबंधन की कौशलता को सीईओ के केबिन से आम विद्यार्थी के मानस पर उकेरने का कार्य कर रहा है। प्रबंधन में बंधन है और इस बंधन में बंधने और लक्ष्य को पाने की लालसा सभी में रहती है पर वे प्र से परिपूर्ण नहीं हो पाते है क्योंकि प्र से प्रश्न है प्र से प्रेरणा है और प्र प्रेम...प्रकाश...प्रज्वलता... प्रखरता...प्राथमिकता...प्रवाह है।  मैनेजमेंट इनकम्पास अॉल द ब्युटिफुल क्वालिटिज अॉफ ह्युमनबिंग...किसी भी देश के विकास की यात्रा में वहां के हरेक व्यक्ति के प्रबंधकीय गुणों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान होता है वह चाहे केबिन में बैठा बड़ी कंपनी का सीईओ हो या फर सड़क पर गुमटी पर चाय बेचने वाला क्यों न हो इनबार्न मैनेजमेंट स्कील्ज व्यक्ति की तरक्की में बड़ा योगदान देते है और इन छोटे छोटे योगदानों से देश की तरक्

पुलिस की लाठी और कांग्रेस नेताओं की कदकाठी

(अनुराग तागड़े) बड़ा कष्टप्रद होता है लाठी खाना और वह भी पुलिस की नहीं किसी ओर से...पुलिस जिस किसी को भी लाठी मारती है देखभाल के मारती है पर यहां तो सही मायने में लाठियां भांजी गईं। अब इन लाठियों से इंंदौर शहर में कांग्रेस की स्थिति समझ आ रही है पर लाठियों से मिले दर्द की अनुगूंज भोपाल में सुनाने की तैयारी आरंभ हो गई है। प्रदेशभर से लाठी खाए कांग्रेसी अपनी आपबीती सुनाने के लिए 22 फरवरी को भोपाल में इकठ्ठा हो रहे हैं। शायद आपस में दर्द बांटने से कुछ कम हो।  कांग्रेस के साथ हमेशा से ही नेता ज्यादा कार्यकर्ता कम की समस्या रही है। इस समस्या को स्वयं कांग्रेसी नेता भी शाश्वत मानते हैं। कांग्रेस नेताओं की कदकाठी को लेकर इंंदौर सहित संपूर्ण प्रदेश के शहरों से लेकर कस्बों तक आम जनता में शंका है। यह शंका इस बात की है कि कांग्रेस के नेता एक मंच पर अलग-अलग दिशा में मुँह करके बैठते हैं और ऊपर से रे-बेन का काला चश्मा लगा लेते हैं ये विरोध प्रदर्शन क्या खाक करेंगे पर इस बार बात अलग लग रही है क्योंकि लाठी खाने के बाद की सूजन अब भी दर्द दे रही है। पिट जाने के बाद की स्थितियां शायद अन्य कांग्रेसि

चिटफंड कंपनियों के लिए स्वर्ग बना मालवा क्षेत्र

- लगातार लूट मचा रही है जी लाईफ से लेकर मनी कुबेरम तक कई कंपनियां - मछली पालन से संतरे के बगीचों का दिया जाता है बिजनेस प्लान ( अनुराग तागड़े) इंदौर। मालवा क्षेत्र में चिटफंड कंपनियों का मकड़जाल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ये चिटफंड कंपनियां लगातार नाम बदल कर नए-नए बिजनेस प्लान लाकर भोली-भाली ग्रामीण जनता से पैसा लूट लेते हैं और जब साल छ: महीने में कंपनी के कर्ताधर्ता भाग जाते हैं तब जाकर पता चलता है कि कंपनी फर्जी थी। अब मनीकुबेरम इंडिया लिमिटेड के नाम से कंपनी का नाम आया है जो लोगों को मछली पालन की योजनाओं के नाम से मूर्ख बना रही थी और तीन वर्षों से लोगों से पैसा वसूल रही थी। कंपनी का कार्यालय मनमंदिर टॉकीज के पास बताया जा रहा है।   कंपनी एजेंटों के माध्यम से पैसा वसूलती है। आरंभिक रूप में थोड़ा लाभ देकर निवेशकों का भरोसा जीतती है और बाद में पैसा लेकर भाग जाती है। कुछ समय पूर्व एक कंपनी सोलर एनर्जी के नाम पर लोगों से पैसा वसूल रही थी। पर्लपेन इंडिया सोलर एनर्जी लिमिटेड ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से लेकर उत्तरप्रदेश तक अपना जाल बिछाया था और आम जनता से एजेंटो के माध्यम

बुजुर्गों को सोशल मीडिया से करीबी और दूरी के अर्थ समझाने होंगे

- केवल पुलिस की नहीं सभी की जिम्मेदारी   ( अनुराग तागड़े) इंदौर। बदलते सामाजिक ताने-बाने में घरों में एकाकी होते वरिष्ठजन अद्यतन होने की सनक के चलते स्मार्ट फोन और कम्प्यूटर का उपयोग कर रहे हैं। इसके कारण वे अपने समय का सदुपयोग भी कर रहे हैं परंतु जिस प्रकार से वे आॅनलाइन ठगी का लगातार शिकार हो रहे हैं उससे साफ जाहिर है कि जिस टेक्नॉलॉजी को वे अपना दोस्त मानकर उपयोग कर रहे हैं वही उनके लिए भीतरघाती साबित हो रही है। हाल ही में शहर में एक समाजसेविका को फेसबुक पर दोस्ती के नाम से एक विदेशी ने फंसा दिया और उससे 43 लाख रुपए ऐंठ लिए थे। दोस्तों की संख्या बढ़ाने के चक्कर में किसी से भी दोस्ती फेसबुक पर बुजुर्ग इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट बनाना सीख लेते हैं परंतु इसके बाद जब फेसबुक पर फ्रेंड बनाने की बात आती है तब शुरूआती दौर में नाते-रिश्तेदारों के बाद भी दोस्तों की संख्या कम होती है तब लाइक बढ़ाने के चक्कर में किसी भी फ्रेंड रिक्वेस्ट को वे यस कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि फ्रेंड्स की सूची बढ़ जाती है और इनमें विदेशी दोस्तों की संख्या भी बढ़ जाती है पर इनमें से कई ऐ

25 पैसे का पानी का पाऊच 1 रुपए में बिकता है

- पानी का धंधा जोरों पर - शादियों व पार्टियों में भी ठंडे और शुद्ध पानी के नाम पर लूट इंदौर। थोक भाव में 35 पैसे में पानी के पाऊच का कट्टा बाजार में आसानी से उपलब्ध है...जिसे पान की दुकान से लेकर अन्य जगहों पर धड़ल्ले से रखा जाता है और जिसकी कीमत 1 रुपए वसूली जाती है। प्रशासन ने गुरुवार को पानी पाऊच की दो फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की जहां पाऊच में पानी भी कम मिला। पानी को फिल्टर करने की मशीनें महीनों से साफ नहीं की गई थीं और ना ही आधिकारिक रूप से इसकी जांच की गई थी।   शहर में पानी के पाऊच का धंधा हर गर्मी में जोर पकड़ता है और इस बार भी पकड़ेगा। शहर के कई प्लांट में पाऊच तैयार किए जाते हैं। सबसे बड़ी कमाई घरों और आॅफिसों में पानी के केन पहुंचाने वाली कंपनियां कर रही हैं। यह कंपनियां महीने का करार इन आॅफिसों में कर लेती हैं लेकिन किस प्रकार का पानी पहुंचाया जा रहा है उसकी गुणवत्ता की जांच करने वाला कोई नहीं है। वहीं दूसरी ओर शादी पार्टियों में पानी के केन भरकर पहुंचाने वालों की जांच भी नहीं होती। केवल किसी भी पानी को ठंडा करके उसे केन में भरकर पहुंचा दिया जाता है और एक केन के 20 से लेक