गढ्ढे दो दिनों में खुदते है भरते साल भर में


- ट्रैंचलैस पद्धति से सीवरेज का काम अब भी जारी
(अनुराग तागड़े)
इंदौर। यह सहनशील नागरिकों का शहर है जहां स्थानीय निकाय के अलावा अन्य विभाग भी जब चाहे चहा चाहे गढ्ढे खोद देती है और भूल जाती है। शहर के नागरिक भले ही गढ्ढे में गिर जाएंगे पर उफ्फ तक नहीं  करेंगे। ट्रैंचलैस पद्धति से सीवरेज लाईन डालने का कार्य गत डेढ वर्ष से चल रहा है और किसी भी चौराहे या सड़क पर अचानक जेसीबी मशीन आती है और कुछ ही घंटो में शहर की अच्छी खासी सड़क को खोद दिया जाता है। दो दिन के भीतर गढ्ढा इतना बड़ा हो जाता है कि चार पहिया वाहन भी इसमें समा जाए पर यह सहनशील लोगो का शहर है जो शहर को स्मार्ट बनाने के चक्कर में कुछ भी सहन करेगा। शहर में कुछ समय पूर्व छत्रियों के पास फल मंंडी से लेकर नंदलालपुरा तक बड़े गढ्ढे खोद दिए गए थे। लगातार ट्राफिक जाम होता रहा और कई लोगो ने इन सड़को पर से आना जाना ही छोड़ दिया कि रोजाना की चिकचिक कौन सहन करे? यहां पर महीनों तक यह काम चलता रहा। इसके बाद व्यवस्ततम मृगनयनी एम्पोरियम के सामने भी काम चलता रहा। इतना ही नहीं तिलकपथ चौराहे से पोलोग्राउंड की ओर जाने वाले मार्ग तो जैसे प्रयोग मार्ग ही हो गया है। यहां पर ड्रेनेज लाईन सुधार के कारण लगातार दो वर्षों से सड़क बुरी स्थिति में है। यहां मुख्य मार्ग पर व्यापार करने वाले लोगो का कहना है धूल के कारण परेशानी तो होती ही है परंतु लगातार इतने महीनो तक सड़क बंद होने से उनका व्यापार ठप्प हो गया है। लगातार बढ़ते दबाव के कारण सड़क को चलने लायक बनाया गया है पर अब भी सड़क की स्थिति  ठीकठाक ही है। इतना ही नहीं मरीमाता चौराहे जैसे व्यस्ततम चौराहे के ठीक बीचोबीच गढ्ढा खोद दिया गया अब ट्राफिक वैसे भी पुलिसवालो से यहां पर नहीं संभलता था अब ओर भी ज् यादा तकलीफ होने लगी है। लोखंडे पुल के पास भी अचानक गढ्ढा खोद दिया गया जिसके कारण यहां से रोजाना गुजरने वाले लोगो को अब भी परेशानी हो रही है। समस्या यह है कि शांति पथ से लोखंडे पुल की ओर आने वाले वाहनो को इस संबंध में किसी भी प्रकार की सूचना पुल पार करने के पहले नहीं दी गई और नतीजा यह हुआ कि रोजाना लोडिंग रिक्शा से लेकर कार व अन्य चार पहिया वाहन पुल के आगे तक आते फिर चारपहिया वाहन को रिवर्स में लेकर गाड़ी पीछे की ओर मोड़ते। इसके कारण लगातार जाम की स्थिति बनती रही है। इतना ही नहीं ये बड़े गढ्ढो में काम समाप्त होने के बाद इनमें ठीक से भराव नहीं किया जाता है जिसके कारण भारी वाहन इन पर से गुजरने पर उनके धंसने का खतरा लगातार बना रहता है। बारिश के दिनों में इस प्रकार की घटनाएं लगातार देखने में आई थी। शहर के अन्य क्षेत्रों में भी हाल यही है अच्छी खासी सीमेंट की सड़क को खोद दिया जाता है और फिर उस सड़क को सामान्य स्वरुप में आने में वर्षभर लग  जाता है। शहर में विकास कार्य होना चाहिए इसमें कोई दो मत नहीं है पर शहरवासियों की सुविधाओं और खासतौर पर भीड़भरी सड़को पर गढ्ढे खोदने के पहले हजार बार सोचना चाहिए और कम समय में किस प्रकार से जल्द कार्य हो इसे लेकर पहले सोचना होगा।

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