जन्माष्टमी विशेष
बांसुरी पर आखिर क्या बजाते थे भगवान कृष्ण! मोहक, मनमोहिनी, मन को हरने वाले मधुर सुरों से युक्त सुरों के समूह जब आपके तन मन को बस भक्ति रस में डूबों दे, तब उस माहौल और पवित्र सुरों की बात ही कुछ ओर होगी। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण जब बांसुरी बजाते होंगे तब सुर भी अपने आप आत्ममुग्ध होते होंगे, इठलाते होंगे, इतराते होंगे कि हम तो सही मायने में श्रीमुख से ही निकल रहे हैं। हमारा सृजन तो स्वयं नारायण कर रहे है। सभी सुर भक्ति रस में पगे और मधुरता का चोला ओढ़कर बांसुरी से बाहर वातावरण में फैलते होंगे। क्या भगवान कृष्ण की बजाई बांसुरी की ध्वनि बहुत दूर तक जाती होगी! क्या भगवान कृष्ण बांसुरी पर राग आदि बजाते थे! उनकी बजाई बांसुरी केवल कर्णप्रिय नहीं बल्कि मनप्रिय और आत्मप्रिय होती थी। उन सुरों में कितनी पवित्रता और निरागसता होगी जो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण बजाते होंगे। - अनुराग तागड़े संगीत नारायण