पाकिस्तान के मंदिर

पाकिस्तान के मंदिर जहां पर रामजी ने भी की थी तपस्या
- पहले लगती थी खूब भीड़ अब है खंडहर
- शिवजी और हनुमानजी के मंदिर भी हैं
भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ने के साथ ही पाक में स्थित मंदिरों को लेकर भी बातें सामने आती रहती हैं। वर्तमान में बलूचिस्तिान को लेकर भारत में चर्चाएं हो रही हैं और वहां पर शक्तिपीठ भी हैं। बलूचिस्तान की आजादी को लेकर अब माहौल भी बनने लगा है। यही कारण है कि अब पाकिस्तान में स्थित प्रचलित मंदिरों को लेकर लोगों में उत्सुकता भी बढ़ रही है और हमें भी अपने इतिहास व संस्कृति के बारे में पता होना चाहिए कि हमारी धार्मिक विरासत कहां तक फैली थी। 

पाकिस्तान में सबसे बड़ा मंदिर शिवजी का कटासराज मंदिर है, जो लाहौर से 270 किमी की दूरी पर चकवाल जिले में स्थित है। इस मंदिर के पास एक सरोवर है। कहा जाता है कि मां पार्वती के वियोग में जब शिवजी के आंखों से आंसू निकले तो उनके आंसूओं की दो बूंदें धरती पर गिरीं थीं। आंसूओं की यही बूंदें एक विशाल कुंड में परिवर्तित हो गईं। इस कुंड के बारे में मान्यता है कि इसमें स्नान करने से मानसिक शांति मिलती है और दु:ख-दरिद्रता से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही यहां एक गुफा भी है। जिसके बारे में कहा जाता है कि सरोवर के किनारे पांडव अपने वनवास के दौरान आए थे। इसके अलावा पाकिस्तान में दूसरा विशाल मंदिर हिंगलाज देवी का है। इस मंदिर की गिनती देवी के प्रमुख 51 शक्ति पीठों में होती है। कहा जाता है कि इस जगह पर आदिशक्ति का सिर गिरा था। यह मंदिर बलूचिस्तान के ल्यारी जिले के हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आने वाले व्यक्ति का मन वापस लौटने का नहीं होता। कहते हैं कि सती की मृत्यु से नाराज भगवान शिव ने यहीं तांडव खत्म किया था। एक मान्यता यह भी है कि रावण को मारने के बाद राम ने यहां तपस्या की थी। भारत-पाक बंटवारे से पहले यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु आया करते थे, लेकिन अब बिगड़ते हालात के चलते श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम हो चुकी है। हालांकि स्थानीय लोगों के लिए इस मंदिर का काफी महत्व है। बताया जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने गुरु गोविंदसिंह भी आए थे। यह मंदिर विशाल पहाड़ के नीचे स्थित और यहां शिवजी का एक प्राचीन त्रिशूल भी है।
पाकिस्तान में स्थित तीसरा विशाल मंदिर है गौरी मंदिर। यह सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित है। पाकिस्तान के इस जिले में हिंदू बहुसंख्यक हैं और इनमें अधिकतर आदिवासी हैं। पाकिस्तान में इन्हें थारी हिंदू कहा जाता है। गौरी मंदिर मुख्य रूप से जैन मंदिर है लेकिन इसमें अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। इस मंदिर की स्थापत्य शैली भी राजस्थान और गुजरात की सीमा पर बसे माउंट आबू में स्थित मंदिर जैसी ही है। इस मंदिर का निर्माण मध्ययुग में हुआ। पाकिस्तान के बिगड़ते हालात और कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव के कारण यह मंदिर भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।
इसके अलावा कालाबाग (पंजाब) में स्थित मंदिर का निर्माण पांचवीं सदी में हुआ। दरअसल मरी नामक यह जगह उस समय गांधार प्रदेश का हिस्सा थी। चीनी यात्री हेनसांग ने भी अपनी पुस्तक में मरी का उल्लेख किया है। हालांकि अब यह प्राचीन मंदिर धीरे-धीरे अपनी चमक खोता जा रहा है। यह मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अद्भुत है, लेकिन उपेक्षा के कारण खंडहर हो चुका है। यह मंदिर  पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित है। यह मंदिर कब अस्तित्व में आया, इसका इतिहास उपलब्ध नहीं है। भारत-पाक बंटवारे के कुछ सालों तक यह मंदिर अच्छी अवस्था में था लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के बढ़ते प्रभाव के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन कम हो गया।
इसके अलावा पाकिस्तान के पेशावर में मौजूद एक ऐतिहासिक मंदिर 160 साल पुराना है। यह बंटवारे के बाद से ही बंद पड़ा था और यहां रोजाना की पूजा-पाठ भी बंद पड़ी थी। पेशावार हाई कोर्ट के आदेश पर छह दशकों बाद नवंबर 2011 में दोबारा खोला गया।  इसके अलावा श्रीवरुण देव मंदिर, मनोरा कैंट, कराची भी है। 1000 साल पुराना यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए मशहूर है। 1947 में बंटवारे के बाद इस मंदिर पर भूमाफिया ने कब्जा कर लिया था। कराची स्थित स्वामी नारायण मंदिर 32, 306 स्क्वायर वर्गफीट क्षेत्र में फैला हुआ है। यह एमए जिन्ना रोड पर स्थित है। अप्रैल 2004 में मंदिर ने अपनी 150वीं सालगिरह मनाई। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी पहुंचते हैं। मंदिर में बनी धर्मशाला में लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था है। वही पंचमुखी हनुमान मंदिर, कराची 1500 साल पुराना हनुमान के पांच सिर वाली मूर्ति वाला मंदिर भी कराची के शॉल्जर बाजार में बना है। इस मंदिर के आर्किटेक्चर में जोधपुर की नक्काशी की झलक दिखाई देती है। इसके अलावा साधु बेला मंदिर, सुक्कुर सिंध प्रांत में स्थित है और यहां होने वाला भंडारा पूरे पाकिस्तान में मशहूर है। इसके अलावा कई अन्य मंदिर भी पाकिस्तान में मौजूद हैं जिनकी हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है। 

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