लता क्या है?
सुर उनके गले से निकलते समय इठलाता है। ताल उनके गाने का साथ पाकर मदमस्त हो जाता है और शब्द उनका सुर पाकर आत्मुग्ध हो जाते है। ऐसी शख्सियत का नाम केवल लता मंगेशकर ही हो सकता है। लता क्या है? भारतरत्न, सुर साम्राज्ञी और न जाने और कितनी उपाधियों से लता को नवाजा गया है पर आज भी लता को देखकर कभी भी यह एहसास होता कि उन्हें अपनी आवाज पर गुमान है। उनके जन्मदिन पर काफी दिनों के बाद उन्हें टेलिविजन चैनल पर हँसते खिलखिलाते हुए देखा। जावेद अख्तर साहब ने लता जी से काफी अच्छे प्रश्न पुछे साथ ही बॉलीवुड की तमाम हस्तियों ने भी लताजी से प्रश्न पुछे। परंतु इन सभी में एक बात जो सबसे ज्यादा मुझे दिल को छू गई वह थी लताजी की सादगी। सादगी की प्रतिमूर्ती हंै वे तथा उन्हें देखकर सही मायने में लगता है कि जिस प्रकार से संगीत का एक स्वर सच्चा और नि:श्छल होता है ठीक वही स्वरुप लताजी का लगता है। लताजी के चेहरे पर बच्चों सी मासूमियत है तो भगवान की भक्ति में लीन में एक साधु के चेहरे की माफिक तेज भी है। निश्चित रुप से लता भारतीय फिल्म संगीत के मंदिर की वह पूजनीय मूर्ती है जिसके आसपास संपूर्ण संगीत रचा गया हो। लताजी ने कार्यक्रम में आमिर खान की फरमाईश पर केवल ऐ क्या बोलता तू बोला और इसके बाद वे एक नन्हें बच्चे की तरह शरमा गई। उनकी इस नि:श्छलता का एहसास वहाँ मौजुद सभी लोगों ने किया। लताजी के गीतों और गायन शैली तथा उनके योगदान पर काफी कुछ लिखा जा चुका है परंतु उनके व्यक्तित्व को जानने की कोशिश काफी कम लोगों ने की है और जिन्होंने की भी है वे स्वयं उनके व्यक्तित्व से मोहित हो गए कि उसे सार्वजनिक करना उन्होंने सही नहीं समझा। और यह बात ठीक भी है स्वयं लताजी एकांतप्रिय है और काफी कम बोलती है। वे लोगो की बातों को पहले सुनती है और बाद में काफी विचार करने के बाद ही बोलती है। वे काफी धार्मिक है तथा भगवान में उनका पूर्ण विश्वास है। जिंदगी में संगीत के अलावा कुछ भी नहीं सोचने वाली इस महान हस्ती के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है । लताजी द्वारा जन्मदिन पर यह कहना कि अगले जन्म में मैं लड़का बनना चाहूँगी अपने आप में यह बताता है कि लताजी के भीतर क्या उथल पुथल हो रही होगी । दरअसल यह कहने के पीछे का जो दर्द है वह अभी का नहीं है। आप ही कल्पना किजीए की आज से 60 वर्ष पूर्व का माहौल लड़कियों को लेकर कैसा होगा? ऐसे में एक 13 वर्ष की लड़की अपने परिवार के भरण पोषण करने के लिए घर से बाहर निकलती है। फिल्मों में न चाहते हुए भी उसे अभिनय करना पड़ता है। वह यह सबकुछ इसलिए करती है क्योंकि परिवार के सदस्यों को उसकी जरुरत है। दरअसल लता का व्यक्त्तिव जितना सहज सरल दिखता है उतना ही उसमें एक दैवीय आकर्षण भी है। लता मंगेशकर निश्चित रुप से भारतीय फिल्म संगीत का ऐसा स्वर्णीम अध्याय है जिसकी चमक कभी भी फीकी नहीं पडेगी।- अनुराग तागड़े
टिप्पणियाँ
unke bare mein jitna khaa ya likha jaye kam hai--
Lata ji ki awaaz mein daiviy tatv hain..sadiyon tak unka naam aur awaaz gunjati rahegi!
sirf TV par hi suna hai..Use bhi music field mein aathvan ajooba kahaa jane laga hai.
abhaar.
-vijay