कोई चप्पल जुते क्यो ना मारे इन दीवानो को?

कोई चप्पल जुते क्यो ना मारे इन दीवानो को?
(अनुराग तागड़े)
दीवानो का क्या है कुछ भी कहते रहते है...अब अपने आडवाणीजी को ही े ीजिए पाकिस्तान में जाकर इन्होंने अपना ोहा ग वाया था (भाजपा आडवाणी को ौह पुरुष के रुप में ोजेक्ट कर रही है) उस कारण उन्हें अब जाकर खडाउ खाने को मि ी। आडवाणी के अ ावा अब तक बुश,चिदंबरम,जिंद को भी जूते खाने को मि े है। एक बात इन सभी में एक जैसी है कि फेंकने वा ा का निशाना सही नहीं रहा। शायद कुछ दिनो बाद पार्टिया चप्प जुते खाने से कैसे बचे इसके विशेष शिक्षण सत्र भी आयोजित करने गे। वही आम जनता जुते या चप्प मारने की ेक्टिस कर इसका योग करे तो परिणाम भी उनकी इच्छाअनुरुप हो सकते है। खैर इन सत्ता के दीवानो को अब जुते चप्प खाने की आदत हो जाएगी। पार्टियो के विशेष शिक्षण सत्रो में क्रिकेटरो को बु ाकर कैच पकडने की ेक्टिस भी करवाई जाएगी और जुते चप्प े पड़ने वा े नेता को सि ब्रिटी की तरह देखा जाने गेगा। दरअस संपूर्ण मस े पर गंभीरता से विचार किया जाए तो यह साफ नजर आ रहा है कि हम ोकतंत्र में रह रहे है परंतु हमें अपनी भावनाओं के गटीकरण करने के ि ए मौके नहीं मि ते है ि हाजा मन के नकारात्मक विचार गुस्से में बद जाते है जिसका परिणाम इस कार की घटनाओं में होता है। जुते चप्प खाने वा े नेता इतनी मोटी चमडी के है कि उसमें भी वे चप्प जुते मारने वा ो को माफ कर वाह वाही बँटोरना चाहते है। आम जनता के बीच नेता अब गुस्से के पात्र बन रहे है और कुछ समय बाद ही नेता हँसी के पात्र भी बनेंगे जब उन्हें चप्प जुतो के अ ावा नए योग जैसे टमाटर,अंडे,प्याज और फिर जो हाथ में आए वही खाना पडेंगे। यहीं नहीं कुर्सी के प्यारो को सभाओ में कुर्सिया ही खाना पडेगी। आगे भविष्य के बारे में यही कयास गाए जा सकते है कि नेताओं की जनसभा बिना जुते चप्प ,टमाटर आदि के होना याने बड़ी घटना होगी। वैसे सभी घटनाओं में मीडिया की भूमिका पर भी अब सवा उठने गे है। चप्प या जुते मारना सामान्य मानवीय व्यवहार के अंतर्गत नहीं आता ऐसे में मीडिया द्वारा जुते या चप्प मारने वा े व्यक्ति के बारे में बहुत अधिक जानकारी देना भी जुते मारने के ि ए अन्य ोगो को ेरित कर रहा है। आगे आने वा े दिनो में इस कार की घटनाएँ ओर अधिक संख्या में होने की संभावना है ऐसे में घटनाओं से बचने की अपेक्षा इस कार के कृत्यो का नेताओ द्वारा विरोध किए जाने की अपेक्षा मीडिया द्वारा भी विरोध किया जाना चाहिए। वही आम जनता की बात करे तो वह त्रस्त,परेशान,दु:खी,निराश सभी कुछ है इसी कारण वे सत्ता के इन दीवानो को बार बार जुते मार रही है।

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