विकास दर में करेक्शन के लिए मन बना ले


- विकास दर थोड़े समय के लिए कम हो सकती है
- अर्थव्यस्था से मिल रहे है सकारात्मक संदेश अगली तिमाही में विकास दर सामान्य से बेहतर हो सकती है
(अनुराग तागड़े)
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नोटबंदी को लेकर देशभर में यह आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी कि इससे जीडीपी पर असर पडेगा और विकास दर 7 प्रतिशत से नीचे जा सकती है परंतु ऐसा नहीं हुआ और दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7 प्रतिशत ही रही। इस पर ज्यादा दिनों तक खुशी मनाने की जरुरत नहीं है क्योंकि आगे आने वाले दिनों में जब असल में नोटबंदी के बाद की तिमाही के नतीजे आएंगे तब विकास दर के घटने की पूर्ण संभावना है। यह बात अलग है कि सरकार ने इसके लिए पहले ही मन बना लिया था और बजट की घोषणा पहले ही हो चुकी है जिसका असर इस तिमाही पर पड रहा है जिसके कारण जनवरी और मध्य फरवरी तक नोटबंदी का जो असर पडा है उसे थोड़ा कम किया जा सके।
नोटबंदी का असर पड़ा है यह बाजार में भी महसूस हुआ है क्योंकि नोटबंदी की मियाद दिसंबर में समाप्त होने के बाद असल में असर कितना और कैसा पड़ा इसका आंकलन किया जा सका है। बाजारों में व्यापारियों ने अपने हाथ खींच कर रखे थे और केवल बाजारों की बात क्यों? घरों में भी आवश्यक सामान ही खरीदा गया है बाकी थोड़े इंतजार के बाद खरीदेंगे की मानसिकता अपनाई गई। इसके कारण रिटेल क्षेत्र में भी मांग में भारी कमी देखी गई थी। मध्य फरवरी के बाद स्थितियां संंभलती नजर आ रही है और इस बात के पूर्ण संकेत है कि आगे आने वाले दिनों में विकास दर न केवल पूर्ववत रहेगी बल्कि अगर मानसून औसत भी रहा तब विकास दर के तेज होने की पूर्ण संभावना है। जिस प्रकार से विकास दर की का आंकलन किया गया था उसमें नोटबंदी के पचास दिन ही शामिल थे इस कारण भी विकास दर के बहुत ज्यादा कम होने की संभावना नहीं थी परंतु इसके बाद की तिमाही के आंकडे देखने लायक होंगे और अगर इस तिमाही में भी आंकडो में ज्यादा बदलाव नहीं आया तब यह बात निश्चित है कि अर्थव्यवस्था न केवल पटरी पर है बल्कि अब तेज गति की ओर बढ़ने के लिए तैयार है। वर्तमान की तिमाही में कृषि और मैन्युफैक्चरिंग के आंकडे कम आने के आसार है वही फायनेंस और कंस्ट्रक्शन के आंकडे भी कम ही रहेंगे जिसका पूर्ण असर जीडीपी पर पड़ने की आशंका है। सरकार बार बार यह कह रही है कि नोटबंदी का असर अर्थव्यवस्था पर नहीं पडेगा बल्कि समांनातर चल रही कालेधन की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ चुका है परंतु जिस प्रकार से कैश ट्रांजेक्शन,बैंक ट्रांजेक्शन पर एक सीमा से ज्यादा पैसे लेने की बात हो रही है और कुछ निजी बैंको ने इस पर अमल भी आरंभ कर दिया है उससे फायनेंस सेक्टर पर थोड़े समय के लिए असर जरुर पडेगा। अगर इस तिमाही में विकास दर में करेक्शन आता भी है तब कोई चिंता की बात नहीं है बल्कि इसके कारण अर्थव्यवस्था में ग्रोथ साइकल स्थिर गति से चलेगी और किसी भी प्रकार की तेजी से बचा जा सकता है। अगले तिमाही में जरुर विकास दर के सात प्रतिशत से ज्यादा की उम्मीद की जानी चाहिए और उसकी अगली तिमाही में ओर अधिक क्योंकि त्यौहारी सीजन रहेगा और तब तक नोटबंदी का असर पूर्ण रुप से समाप्त हो चुका होगा और बैंकिंग सेक्टर पूर्ण गियर में आकर काम कर रहा होगा। थोड़े समय के लिए अगर विकास दर कम भी हुई तब भी चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था जिस प्रकार से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दे रही है उससे आगे बहुत सारी आशाएं पाली जा सकती है।

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