हिन्दी फिल्मों के विदेशी दर्शक

बॉलीवुड की फिल्मों को विदेशी दर्शकों द्वारा पसंद किया जाना कोई नई बात नहीं है। ब्लैक एंड व्हाईट के जमाने से भारतीय फिल्मों को चीन से लेकर रूस तक पसंद किया जाने लगा था। इसके बाद भी भारतीय सिनेमा को उसके सुखांत के लिए कई देशों में पसंद किया गया। भारतीय फिल्मों को विदेशी इनकी कलरफुलनेस के लिए पसंद करते है, क्योंकि इसमें संगीत है रिश्तों की महक है संदेश है और फिल्म के अंत में नकारात्मक ताकते हारती ही है। जबकि, इसके उलट विदेशी फिल्मों में नकारात्मकता काफी हावी होती है और विषय भी आपसी संबंधों को छोड़ इस प्रकार रहते है जिनमें परिवारिक रिश्तों के संबंध में कुछ भी नहीं रहता है। भारतीय सिनेमा को अफ्रीका के देशों में भी खूब पसंद किया जाता है। क्योंकि, उनके अनुसार भारतीयों का किसी भी समस्या को देखने का नजरिया काफी अलग है, जिसमें सकरात्मकता काफी ज्यादा होती है और किसी भी समाज को हरदम सकारात्मकता की जरुरत होती ही है।



भारतीय सिनेमा ने वर्तमान में काफी उँचाईयों को छू लिया है। पैसा, प्रसिद्धि के मामले में हो या भारतीय फिल्म कलाकारों के ब्रांड बनने की बात हो सभी दूर बॉलीवुड के नायक नायिकाओं को लेकर उत्साह भरा माहौल है। आज भारतीय फिल्म कलाकार मैडम तुस्साद के मोम के म्यूजियम में जगह पर रहे है और भारतीय कलाकारों से सजी फिल्म ऑस्कर जीत रही है। यह निश्चित है भारतीय मनोरंजन उद्योग अपनी ग्लोबल पहचान बनाने में कामयाब हो ही गया है। जानते है कि भारतीय सिनेमा को कौन से देशों में प्रसिद्धि हासिल है।


रिलीज के बाद पहुँचती है फिल्में


बंंाग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भारतीय फिल्में रिलीज होने के तत्काल पहुँच ही जाती है। अधिकांश पाकिस्तानी भारतीय फिल्में ही देखते है। भारतीय फिल्मों की रिलीज पाकिस्तान में प्रतिबंधित होने के बाद भी वहाँ पर आसानी से भारतीय फिल्मों की सीडी मिल जाती है। अफगानिस्तान में भी भारतीय फिल्मों का जलवा है। यहाँ पर तो कई भारतीय फिल्मों को फिल्माया भी गया है जिनमें धर्मात्मा, काबुल-एक्सप्रेस, खुदा गवाह, एस्केप फ्राम तालिबान आदि। इसके अलावा फिलीस्तीन, जार्डन, इजिप्ट में भी बॉलीवुड फिल्में प्रसिद्ध है। उजबेकिस्तान, तजाकिस्तान में भारतीय फिल्में पहुँच चुकी है।


चीन में डॉ कोटनीस की अमर कहानी तथा आवारा, दो बीखा जमीन काफी प्रसिद्ध हुई थी और राज कपूर को वहाँ सभी पहचानते है। बीच में कुछ वर्षो तक बॉलीवुड फिल्म की लोकप्रियता चीन में कम हुई थी परंतु 2001 में फिल्म लगान के बाद से पुन: भारतीय फिल्मों के प्रति चीन में आकर्षण बढ़ा है। वही नाइजेरिया में फिल्म मदर इंडिया को खूब पसंद किया जाता है। वहाँ पर यह फिल्म भारत में रिलीज होने के बीसियों वर्ष बाद देखी गई और इससे वहाँ लोग प्रभावित हुए। नाइजीरिया में सड़कों पर चलने वाली रिक्शा में भारतीय कलाकारों के स्टीकर आसानी से नजर आ जाते है। सोमालिया में भी भारतीय फिल्में पसंद की जाती है।


भारतीय फिल्में हॉलीवुड से काफी अलग मानी जाती है। हॉलीवुड की फिल्मों में किसी भी प्रकार का सामाजिक संदेश नहीं होता है, वही भारतीय फिल्मों में न केवल सामाजिक संदेश होता है बल्कि महिलाओं को भी सम्मानजनक तरीके से बताया जाता है। वही रूस में राज कपूर, मिथुन चक्रवर्ती को काफी पसंद किया जाता है, परंतु सोवियत फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन प्रणाली गड़बड़ा जाने के बाद हॉलीवुड ने वहाँ एकाधिकार कर लिया था। गत दो तीन वर्षो में पुन: भारतीय फिल्मों के प्रति आकर्षण पैदा हो रहा है।


वहीं योरप और अमेरिका में भारतीय फिल्मों व सितारों के प्रति आकर्षण इस कारण देखा जा रहा है। क्योंकि, वहाँ बड़ी संख्या में एशियाई रहने लगे है जो अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहते है इस कारण जो भी नई फिल्म रिलीज होती है उसे देखने के लिए भारतीयों सेे लेकर अन्य एशियाई लोगों की भीड़ लग जाती है। यशराज फिल्म्स से लेकर अन्य बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं ने यहाँ फिल्में रिलीज कर खूब पैसा बनाया है। दिल वाले दुल्हनियां ले जाऍगे, कभी खुशी कभी गम, जैसी फिल्में यहाँ बसे भारतीयों को अपने देश की याद दिलाती रही और इस कारण यह फिल्में वहाँ पर सुपर डुपर हिट रही। फिल्म सलाम नमस्ते ने आस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीयों के अलावा मूल आस्ट्रेलियन्स का भी दिल जीता था। है बेबी, चक दे इंडिया, सिंग इज किंग ऐसी फिल्में है जिन्होंने भारत के साथ साथ विदेशों में भी जमकर चांदी काटी है। - अनुराग तागड़े

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