दोस्ती से दोस्ताना तक....

समय वाकई बदल गया है और दोस्ती को 'दोस्ताने" की नजर से भी देखा जाने लगा हैं। दोस्ताना याने क्या? अब तक दोस्ताना का मतलब दो लोगों के बीच दोस्ती ही समझी जाती थी परंतु करण जौहर की फिल्म दोस्ताना जिसमें गे (समलैंगिग) संबंधों के बारे में बाते हुई है के बाद से दोस्ती को भी शायद नजर लग गई हैं। अब दो दोस्त ज्यादा दोस्ती का इजहार भी करते है तब उन्हें दोस्ताना के नजर से देखा जा सकता हैं। दोस्ती को साहित्यकारों ने न जाने कितने खुबसुरत शब्दों में पिरों कर प्रस्तुत किया हैं। एक ऐसा खुशनुमा एहसास जहाँ पर अपने मन की बात कह सकते हैं पर विदेशियों ने इस मन में भी तन की सहभागिता जरुरी समझी और ऐसे संबंधों को जायज़ ठहराने लगे। लगातार अपनी इस कथित दोस्ती को वे सही साबित करने में जुटे रहे। विदेशों में इसे अनुमति भी मिल गई और वही की देखा देखी हमारे देश में भी दोस्ती की नई परिभाषा को गढ़ने के लिए कवायद आरंभ हो गई। पहले दो सहेलियों या दोस्तों की शादी को समाज अजूबा या पागलपन करार देता था पर गत कुछ वर्षो में यह अमीरों का शगल बन गया और भारत जैसे देश में अमीरों के विरुद्ध बोलना हमारे गुणसुत्रों में ही नहीं है लिहाजा देश में अमीरों के इस शगल ने धीरे धीरे अपने आप को फैलाना आरंभ कर दिया और समाज ने जो संस्कार संस्कृति का लिहाफ ओढ़ कर रखा था उससे भीतर ही भीतर घुप्प अंधेरे में समलैंगिगता को उजाला नजर आया और उसने विकृति और स्वच्छंदता को साथ में लेकर इस लिहाफ से बाहर कदम रखे। कदम क्या रखे वह तो तेज दौड़ने ही लगी और वर्तमान की बात करे तो यह दौड़ इतनी गति प्राप्त कर चुकी है कि कानून भी उसे सीमा में बांधने को तैयार नहीं हैं। यह अंधी दौड़ अपने पीछे हुजूम इकठ्ठा कर रही है ऐसे नौजवानों का जिनके पास शरीर के भीतर मन होने का एहसास नहीं है और जिन्हें केवल कुछ अलग तरह से व्यवहार कर समाज में हट कर रहने में आनंद आता हैं। समलैंगिगता के इस दोस्ताने ने दोस्ती के दामन पर एक ऐसा जख्म दिया है जो फोड़ा बन रहा है । आगे आने वाले समय में हम इस फोड़े के बहते हुए पीप को भी देख सकेंगे और दोस्ती के संबंधो को अपनी आंखो के सामने तार तार होते हुए भी देख सकेंगे। समाज को लगी यह बीमारी अभी प्राथमिक अवस्था में ही है तथा अभी इसका इलाज नहीं किया गया तो आगे आने वाले वक्त में हम स्वयं से इस संबंध में प्रश्न पूछने लायक भी नहीं बचेंगे।
( अनुराग तागड़े)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अकेला हूँ...अकेला ही रहने दो

लता क्या है?

इनका खाना और उनका खाना