दोस्ती से दोस्ताना तक....
समय वाकई बदल गया है और दोस्ती को 'दोस्ताने" की नजर से भी देखा जाने लगा हैं। दोस्ताना याने क्या? अब तक दोस्ताना का मतलब दो लोगों के बीच दोस्ती ही समझी जाती थी परंतु करण जौहर की फिल्म दोस्ताना जिसमें गे (समलैंगिग) संबंधों के बारे में बाते हुई है के बाद से दोस्ती को भी शायद नजर लग गई हैं। अब दो दोस्त ज्यादा दोस्ती का इजहार भी करते है तब उन्हें दोस्ताना के नजर से देखा जा सकता हैं। दोस्ती को साहित्यकारों ने न जाने कितने खुबसुरत शब्दों में पिरों कर प्रस्तुत किया हैं। एक ऐसा खुशनुमा एहसास जहाँ पर अपने मन की बात कह सकते हैं पर विदेशियों ने इस मन में भी तन की सहभागिता जरुरी समझी और ऐसे संबंधों को जायज़ ठहराने लगे। लगातार अपनी इस कथित दोस्ती को वे सही साबित करने में जुटे रहे। विदेशों में इसे अनुमति भी मिल गई और वही की देखा देखी हमारे देश में भी दोस्ती की नई परिभाषा को गढ़ने के लिए कवायद आरंभ हो गई। पहले दो सहेलियों या दोस्तों की शादी को समाज अजूबा या पागलपन करार देता था पर गत कुछ वर्षो में यह अमीरों का शगल बन गया और भारत जैसे देश में अमीरों के विरुद्ध बोलना हमारे गुणसुत्रों में ही नहीं ह...