बायोफ्यूल से कीजिए हवाई यात्रा!

बायोफ्यूल से कीजिए हवाई यात्रा!
(अनुराग तागड़े)
हवाई जहाजों में अब तक जेट-फ्यूल या केरोसिन का ही प्रयोग किया जाता रहा है। विश्व के अधिकांश हवाई जहाज इसी ईंधन का प्रयंोग करते है। परंतु इस ईंधन का प्रयोग करने से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है। इससे बचने के लिए कई नए तरह के प्रयोग हो रहे है जिसमें बायोफ्यूल का इस्तेमाल कर हवाई जहाजों को जँाचा जा रहा है। हवाई जहाज के इंजनो को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर काफी उन्न्त बनाया जा चुका है। पर्यावरण का ख्याल रखने की दृष्टि से अब इन इंजनों को पर्यावरण हितैषी ईंधन प्रयोग करने के लिए भी प्रयोग हो रहे है।बायोफ्यूल की तीसरी पीढ़ीहवाई जहाज के इंजन में पर्यावरण हितैषी ईंधन का प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिकों को काफी मशक्कत करना पड़ी। कई सालों के शोध के बाद अब विमानों में प्रयोग किए जाने वाले बॉयोफ्यूल की तीसरी पीढ़ी का विकास हो पाया है। पहली पीढ़ी के बायोफ्यूल मक्को, सोयाबीन, सनफ्लावर के बीज से बने थे। यह हवाई जहाज में उपयोगे के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए थे। दूसरी पीढ़ी के बॉयोफ्यूल में पेपर इंडस्ट्री से निकली ब्लैक लिकर व अन्य उद्योगों के बायप्रोडक्ट्स का प्रयोग करके भी देखा गया। परंतु इनकी उपलब्धता आसान नहीं थी। बायोजेट फ्यूल की तीसी पीढ़ी ने काफी आशा बँधाई है। - इनमें एल्गी या ऐसे पौधे जिनकी फोटोसिंथेसिस दर ज्यादा थी और जो गंदे पानी या नमकीन पानी में भी उग सकते है। इनसे सोयाबीन व अन्य से प्राप्त तेल से 250 गुना ज्यादा तेल प्राप्त हुआ।- जेट्रोफा (रतनजोत) के पौधो से प्राप्त तेल। - स्वीचग्रास प्रजाति की ऐसी घास जिसे उगाने में काफी कम पानी लगता है। इससे भी अच्छी मात्रा में तेल प्राप्त होता है।- बाबूसा नामक ब्राजीलियन पेड़ जिससे काफी अच्छी मात्रा में तेल मिलता है।इन सभी से प्राप्त तेल काफी अच्छी गुणवत्ता का होता है परंतु इनकी उपलब्धता अब भी काफी मुश्किल है।अब तक जो सफल प्रयोग हुए :-- हवाई जहाजों में प्रत्यक्ष रुप से बायोफ्यूल का उपयोग करने में वर्ष 2008 व 2009 काफी महत्वपूर्ण साल साबित हो रहे है।- एयरबस ने वर्ष 2008 में ए-380 विमान के एक इंजन को एफटी गैस से लिक्विड फ्यूल बनाकर उड़ाया था।- वर्जिन एटलांटिक ने 23 फरवरी 2008 को बोइंग 747-400 के एक इंजन को बाबुसा तेल व नारियल के तेल से चलाया था।- एयर न्यूजीलैंड ने 30 दिसंबर 2008 को अपने बोइंग 747-400 विमान के एक इंजन को पचास प्रतिशत रतनजोत के तेल से तथा 50 प्रतिशत केरोसिन से चलाया।- 7 जनवरी 2009 को कांटिनेंटल एयरलाईन द्वारा अपने बोइंग 737-800 के एग-इंजिन को पचास प्रतिशत जेट फ्यूल तथा पचास प्रतिशत एल्गी और रतनजोत के मिश्रण से बने तेल से चलाया था।- 30 जनवरी 2009 को जापान की एयरलाईन 'जाल" द्वारा अपने बोइंग 747-300 के इंजन को केरोसिन तथा केमलाईन के समान मात्रा के मिश्रण तथा रतनजोत व एल्गी से बने तेल से चलाएगी।कुलमिलाकर बड़ी एयरलाईंस के साथ साथ अब छोटी एयरलाईंस में भी बॉयोफ्यूल के प्रति रुचि जागृत हो रही है। तेजी से बढ़ रहे तेल के दामों को देखकर अब यही कहा जा सकता है कि धीरे-धीरे ही सही परंतु एयरलाईंस बायोफ्यूल की ओर ध्यान दे रही है।

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