बधाई हो मन्न्ा दा
मन्न्ा डे को दादा साहेब फाल्के अवार्ड देने की घोषणा हुई है। यह घोषणा वर्ष 2007 के लिए है परंतु मुझे लगता है कि मन्न्ा दा जैसे गायक को यह काफी पहले ही मिल जाना था। मन्न्ा डे ने शास्त्रीय संगीत पर आधारित कई गीत गाए है वही मेहमूद के लिए कई कॉमेडी गीतों को भी गाया है। मन्न्ा दा की आवाज में न जाने क्या जादू है कि उनके गाए सभी गीत अच्छे लगते है। उन्होंने अपने आप को आधुनिक संगीत के अनुसार ढालने की बहुत कोशिश जरुर की परंतु हमे तो आज भी सुर ना सजे वाले मन्न्ा डे ही पसंद है। मो.रफी साहब भी अपने चाहने वालो को यह कहते थे कि आप हमारे चाहने वाले है पर हम मन्न्ा डे के गाने सुनते है। सीधे व्यक्त्तिव वाले मन्न्ा डे ने कई भाषाओं में गीत गाए है । इनमें कई गीत ऐसे ही कि आज भी सुनने पर आंखो से आंसू आ जाएँ। ऐ मेरे प्यारे वतन गीत को ही ले इस गीत के बोल जितने सुंदर उतनी ही इसकी धुन है और उस पर मन्न्ा डे साहब की आवाज । यह गीत काफी धीमी गति से चलता है पर इस धीमी गति में ही उसका आनंद है। मुखडे के बाद अंतरा ऐसा है जिसे मन्न्ा दा के अलावा ओर कोई गा ही नहीं सकता था। कस्में वादे प्यार वफा गीत में जिंदगी के फलसफें को...