सरोद के एक युग का अंत

उ अ ी अकबर खां ध्दांि
(अनुराग तागड़े)
कहते है कि संगीत के दर्दी ोगो के सम्मुख स्तुति देना आसान बात है संगीत में कठिन का मत ब जिन्हें संगीत का बिल्कु भी ज्ञान नहीं है उन्हें भी झुमने पर मजबूर करना। उ अ ी अकबर खां की गिनती देश के ऐसे संगीतज्ञों में होती थी जिन्होंने देश के साथ ही विदेशों में भारतीय संगीत का चार किया। सरोद वादन के ति आम संगीत ेमियों का सुनने का अंदाज बद ने वा े उ अ ी अकबर खां के निधन से सरोद के एक ऐसे युग का अंत हुआ है जिसमें सरोद को ेकर न जाने कितने योग हुए। फिल्मों से ेकर जुग बंदियों में नए योग करने वा े खां साहब बाबा अ ाउद्दीन खां के पुत्र होने के नाते सफ नहीं हुए। उन्होंने सरोद वादन की ऐसी शै ी विकसित की जिसमें आ ापी से ेकर जोड़ झा े तक संपूर्ण स्तुति आम ोता को खुब भाती थी और खासतौर पर तब े व सरोद के बीच सवा जवाब महफि की जान हुआ करते थे।1922 में जन्में खां साहब ने मात्र तीन वर्ष की आयु में अपने पिता से संगीत की शिक्षा ेना आरंभ कर दिया था। आरंभ में उन्होंने गायन की ता ीम ी व अपने चाचा फकीर आफताबउद्दीन से तब े की शिक्षा ी।18 घंटे की रियाजअ ी अकबर खां साहब ने आरंभिक रुप से कई वाद्ययंत्रो का शिक्षण ि या पर सरोद पर उनका दि आ गया था। उन्होंने सरोद से इतना ेम किया कि गातार 18 घंटो तक वे रियाज करते रहते थे। मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने इ ाहबाद में मंचीय स्तुति दी। जोधपुर महाराजा के यहाँ उन्होंने गातार सात वर्षो तक अपनी सेवाएँ दी। इसके बाद देश भर में उन्होंने कई कार्यक्रम दिए व उनकी गिनती सर्वेष्ठ सरोद वादक के रुप में होने गी। 1955 में पश्चिम वाि न वादक ार्ड मेनुहिन के आग्रह पर उन्होंने अमेरिका की यात्रा की तथा न्यूयार्क के म्युजियम ऑफ मार्डन आर्ट में भारतीय संगीत की पह ी स्तुति दी। खां साहब ने ही पह ी बार विदेश में भारतीय शास्त्रीय संगीत की ए पी रेकार्डिंग की थी इसके अ ावा विदेशी टि विजन पर भारतीय शास्त्रीय संगीत की पह ी स्तुति देने का ेय भी खां साहब को ही जाता है। 1956 में उन्होंने को काता में अ ी अकबर कॉ ेज ऑफ म्युजिक की स्थापना की। विदेशी विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 1965 में वे अमेरिका पहुँचे व 1967 में बर्क े में म्युजिक का ेज की स्थापना की और वहाँ भी मैहर रामपुर घराने को आगे बढ़ाया। उन्होंने बेस स्वीट्जर ैंड में भी संगीत स्कू की स्थापना की। फिल्म आंधियां के अ ावा हाउस होल्डर, देवी , तथा ि टि बुद्धा के ि ए संगीत दिया। पं रविशंकर आपके बहनोई है तथा उनके साथ जुग बंदी के कई कार्यक्रम दिए है। पद्मभूषण तथा पद्म विभूषण के अ ावा अमेरिका में नेशन हेरिटेज फे ोशिप भी दान की गई। किडनी की समस्या के कारण वे गत चार वर्षो से काफी बीमार रहने गे थे। 18 जून को अमेरिका में उनका निधन हो गया।

टिप्पणियाँ

ravindra vyas ने कहा…
आपको इस वर्चुअल दुनिया में देखकर सुखद लगा। आपके इस ब्लॉग के बारे में आज ही जान पाया । आशा है आपकी चीजें यहां भी नियमित पढ़ने को मिलेंगी। शुभकामनाएं।
वर्ड वैरीफिकेशन हटा देंगे तो लोग आसानी से कमेंट्स कर पाएंगे।

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