यही है राईट च्वाईस उमा..

राजनीति में यह सुविधा रहती है कि किसी को भी चाहे जितनी गा ी दे दो और चुनाव के समय नजदीक आते ही पुरानी बाते भू कर ग े मि सकते है। राजनीति में सबकुछ जायज है और वर्तमान में इसका सबसे बड़ा उदाहरण है उमा भारती। तुनकमिजाज उमा ने भाजपा से यह कहकर नाता तोड़ा था कि वे अपनी पार्टी बनाएगी और उसके माध्यम से भाजपा को नुकसान पहुँचाएगी।भारतीय राजनीति में उमा भारती एक उदाहरण है। राजनीति के शिखर पर पहुँचने के बाद अपनी तुनकमिजाजी के कारण सत्ता के शिखर से जिस तरह फिस ी वह एक सबक है। जो ोग उमा के साथ भाजपा से रिश्ता तोड़कर च े थे, उनमें से ज्यादातर ौट आए। चार वर्षो में उमा की हा त यह हो गई कि उनके आसपास सबकुछ खा ी हो गया। उमा को भी अब यह बात समझ में आ गई है कि भाजपा में और खासतौर पर आडवाणी का साथ देना उनके ि ए जरुरी हो गयौ। उमा का राजनीतिक करियर अब शून्य होता जा रहा है। ऐसे में उन्होंने संघ के माध्यम से गत कुछ महीनों से भाजपा में वापसी के ि ए यत्न आरंभ कर दिए थे।उमा का मिजाज अ गउमा भारती के साथ समस्या यह है कि उनका स्वभाव सामान्य राजनेताओं से अ ग है। वे कभी अपने कार्यकर्ता को चांटा मार देती है तो अग े ही प पुचकारने भी गती है। दरअस , उमा के इसी स्वभाव के कारण भाजपा में उनके विरोधियों की संख्या काफी बढ़ गई थी। कें से राज्य की राजनीति करने के पीछे भी मकसद यही था। पर उमा न कें की हो पाई और राज्य में तो उन्होंने अपने पैरों पर ही नहीं बल्कि संपूर्ण शरीर पर ही कुल्हाड़ी मार ी। अब उमा को राजनीतिक घावों का दर्द तो बहुत हो रहा है। पर, उन्हें पूछने वा ा कोई नहीं है। ह ाद पटे से ेकर न जाने कितने ही कार्यकर्ता उमा भारती के साथ इस कारण आए थे कि वे शायद कुछ असर डा पाएगी। उमा भारती के विधानसभा चुनावों में हार जाने के बाद यह तय था कि उमा को अपने राजनीतिक करियर को बचाए रखना है तो भाजपा का दामन थामना पडेगा। अब समस्या यह है कि उमा को किस हैसियत से पार्टी में ाए। उमा खुद यह कहती फिर रही है कि वे आडवाणी का चार करेंगी। यानीे उमा किसी भी तरह से आडवाणी के करीब आना चाहती है, उन्हें खुश करके भाजपा में वापसी करना चाहती है। एक समय उमा के करीबी रहे कै ाश विजयवर्गीय भी यह कह रहे है कि उमा भारती की वापसी का वे स्वागत करते है। दरअस उमा भारती को वापस ाने के ि ए माहौ बनाने की कोशिश की जा रही है क्योंकि अगर उमा इस ोकसभा चुनावो के पह े भाजपा में नहीं आ पाती है तब उनके करियर पर श्न चिन्ह ग सकता है। इस कारण उमा के करीबी ोगों ने ही उन्हें स ाह दी है कि यही राईट च्वाईस है। अब देखना यह है कि इतना माहौ बनाने के बाद भी उमा भाजपा में वापसी कर पाती है कि फिर वही अक्खड़पन दिखाती है। और अंदर की बात यह है कि उमा भारती के पास चुनाव ड़ने के ि ए पैसे भी नहीं है। इस कारण उन्होंने आडवाणी को समर्थन देने की बात कही है जबकि यही उमा थी जो यह कहती फिरती थी कि उनकी पार्टी का पह ा क्ष्य ही आडवाणी को धानमंत्री नहीं बनने देना है और इस बात की घोषणा वे अपनी त्येक चुनावी सभा में भी करती थी। उमा कुछ कहे न कहे पर उनकी बॉडी ेंग्वेज साफ बता रही है कि राजनीतिक करियर बचाने के ि ए कुछ भी करना पड़ता है जिसमें अपने बयानो से प टना और नीतियां बद ना सबसे पह ा कदम है। उमा भ े ही यह कह रही हो कि वे अपनी पार्टी में रहकर ही काम करेगी पर यह बात सभी को पता है कि उमा के पास अब पार्टी कहने ायक शायद ही कुछ बचा है।

टिप्पणियाँ

MAYUR ने कहा…
kuch nahi ho sakta uma ji ka

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अकेला हूँ...अकेला ही रहने दो

लता क्या है?

इनका खाना और उनका खाना